सम्माननीय प्रधानाचार्य जी, आदरणीय शिक्षकगण और मेरे प्रिय साथियों,
आज हम सभी यहाँ एक बहुत ही महत्वपूर्ण अवसर पर एकत्रित हुए हैं। आज 8 मार्च, यानी अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है। यह दिन दुनिया भर में नारी शक्ति, उनकी उपलब्धियों और उनके योगदान को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। यह केवल एक दिन का उत्सव नहीं है, बल्कि यह हमें याद दिलाता है कि महिलाओं ने समाज को संवारने और आगे बढ़ाने में कितना बड़ा योगदान दिया है।
हमारी संस्कृति में नारी को सदैव सम्मान दिया गया है। वेदों में कहा गया है “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता”, अर्थात जहाँ नारी का सम्मान होता है, वहाँ देवताओं का वास होता है। लेकिन, क्या आज की दुनिया में महिलाओं को वही सम्मान और अधिकार मिल रहा है, जिसके वे योग्य हैं?
आज भी महिलाओं को कई क्षेत्रों में पुरुषों के बराबर अवसर नहीं मिलते। शिक्षा, रोजगार, राजनीति, खेल—हर क्षेत्र में उन्होंने अपनी मेहनत और प्रतिभा का लोहा मनवाया है, लेकिन फिर भी वे कई समस्याओं से जूझ रही हैं। लैंगिक भेदभाव, घरेलू हिंसा, बाल विवाह, दहेज प्रथा जैसी सामाजिक बुराइयाँ आज भी हमारे समाज में मौजूद हैं। यह हमारे लिए एक चिंता का विषय है।
लेकिन, हम यह भी नहीं भूल सकते कि समय बदल रहा है। महिलाएँ अब खुद को कमजोर नहीं मानतीं, वे अपने हक के लिए आवाज़ उठा रही हैं। अगर हम इतिहास पर नज़र डालें, तो हमें कई प्रेरणादायक महिलाएँ मिलेंगी, जिन्होंने समाज की रूढ़ियों को तोड़कर एक नया इतिहास रचा। रानी लक्ष्मीबाई, सरोजिनी नायडू, इंदिरा गांधी, कल्पना चावला, मैरी कॉम, साइना नेहवाल, पी. वी. सिंधु जैसी अनेक महिलाओं ने यह साबित कर दिया कि अगर उन्हें सही अवसर मिले, तो वे किसी से कम नहीं हैं।
आज के दौर में शिक्षा और जागरूकता ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया है। वे डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, नेता, पुलिस अफसर, पायलट, और यहाँ तक कि अंतरिक्ष यात्री भी बन रही हैं। महिलाएँ न केवल अपने घरों की जिम्मेदारी निभा रही हैं, बल्कि वे देश और समाज के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही हैं।
लेकिन महिला सशक्तिकरण केवल महिलाओं की जिम्मेदारी नहीं है। यह हम सभी की जिम्मेदारी है। हमें अपने घरों से ही बेटा-बेटी में भेदभाव खत्म करना होगा। हमें लड़कियों को भी लड़कों की तरह आगे बढ़ने के अवसर देने होंगे। शिक्षा, सुरक्षा और समानता महिलाओं का अधिकार है, और इसे सुनिश्चित करना समाज के हर व्यक्ति का कर्तव्य है।
अंत में, मैं बस यही कहना चाहूँगा कि महिला दिवस केवल एक दिन का उत्सव नहीं है, बल्कि यह एक संदेश है कि हमें महिलाओं के अधिकारों, सम्मान और उनके हक के लिए हमेशा खड़ा रहना चाहिए। महिलाएँ हमारे समाज की शक्ति हैं, और जब महिलाएँ सशक्त होंगी, तो हमारा देश और दुनिया भी आगे बढ़ेगी।
“नारी है तो संसार है, नारी के बिना कुछ भी नहीं,
नारी का सम्मान करें, तभी समाज में रोशनी होगी।”
धन्यवाद!